म्यांमार सरकार के अनुरोध पर भारत सरकार ने अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्या शरणार्थियों की पहचान की पुष्टि के लिये अब सभी राज्य सरकारों से, शरणार्थियों की मूल भाषा के आधार पर नये सिरे से आंकड़े जुटाने को कहा है. इससे पहले, अक्टूबर 2017 के सिर्फ अंग्रेजी भाषा वाले प्रारूप के आधार पर अवैध शरणार्थियों की पहचान की गयी थी.
इसके लिये भारत में म्यांमार दूतावास ने, अवैध शरणार्थियों की स्थानीय भाषा की जानकारी के आधार पर पहचान सुनिश्चित करने के लिये, दो भाषाओं वाले फार्म का प्रारूप केन्द्र सरकार को मुहैया कराया है.
चार पृष्ठ वाले नये फार्म में शरणार्थियों के मौजूदा निवास स्थान की पूरी जानकारी के अलावा संबद्ध इलाके के प्रभावशाली व्यक्ति का भी उल्लेख करने को कहा गया है. इसके अनुसार, शरणार्थी यदि ग्रामीण क्षेत्र में रह रहा है तो गांव के सरपंच, मुखिया या फिर किसी प्रभावशाली व्यक्ति का नाम भी फार्म में देना होगा.
जबकि शहरी क्षेत्र में रह रहे शरणार्थी के फार्म में वार्ड कमिश्नर अथवा पार्षद का नाम देना जरुरी कर दिया गया है. साथ ही अवैध रूप से रह रहे शरणार्थी के पास उपलब्ध सभी सरकारी दस्तावेजों की जानकारी भी देनी होगी.