जलियांवाला बाग हत्याकांड (Jallianwala Bagh Massacre) ब्रिटिश भारत के इतिहास का काला अध्याय है. 13 अप्रैल, 1919 को अंग्रेज अफसर जनरल डायर ने अमृतसर के जलियांवाला बाग में मौजूद निहत्थी भीड़ पर अंधाधुंध गोलियां चलवा दी थीं. इस हत्याकांड में सैंकड़ों लोग मारे गए थे, जबकि हजारों घायल हो गए. जिस दिन यह क्रूरतम घटना हुई, उस दिन बैसाखी (Baisakhi) थी. इसी हत्याकांड के बाद ब्रिटिश हुकूमत के अंत की शुरुआत हुई. इसी के बाद देश को ऊधम सिंह जैसा क्रांतिकारी मिला और भगत सिंह समेत कई युवाओं के दिलों में देशभक्ति की लहर दौड़ गई.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जलियांवाला बाग हत्याकांड की बरसी पर उस घटना को याद करते हुए शहीदों को नमन किया. उन्होंने ट्वी करते हुए लिखा, "जो लोग जलियांवाला बाग की घटना के दौरान शहीद हुए थे, मैं उन्हें नमन करता हूं. हम उनके बलिदान को कभी भी नहीं भूलेंगे, उनका त्याग आने वाले कई वर्षों तक देशवासियों को प्रेरित करता रहेगा."
उस दिन जनरल डायर के आदेश पर ब्रिटिश आर्मी ने बिना रुके लगभग 10 मिनट तक गोलियां बरसाईं. इस घटना में करीब 1,650 राउंड फायरिंग हुई थी. बताया जाता है कि सैनिकों के पास जब गोलियां खत्म हो गईं, तभी उनके हाथ रुके.