कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के बीच इस बार मुसलमानों का पवित्र रमजान का महीना शुरू हो रहा है. देश भर में मुस्लिम समुदाय पहला रोजा शनिवार को रखेंगे. कोरोना संकट के बीच मुस्लिम समुदाय को रोजा रखना और अपने-अपने घरों से ही नमाज पढ़नी होगी. देश के अल्पसंख्यक मंत्रालय से लेकर तमाम राज्य सरकारों ने रमजान को लेकर निर्देश जारी किए हैं. इसके अलावा मुस्लिम धर्मगुरुओं ने भी मुसलमानों से अपील की है कि कोरोना की वजह से एहतियात बरतें और घर से नमाज-रोजा करें. उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने रमजान को लेकर निर्देश जारी किए हैं. प्रशासन ने धर्मगुरुओं, मौलवियों व मौलानाओं से संवाद स्थापित कर यह तय किया है सहरी व इफ्तार के समय किसी भी प्रकार की भीड़ इकट्ठी नहीं होनी चाहिए. योगी ने लोगों से शहरी व इफ्तार घर पर ही करने की अपील की है, जिसका मुस्लिम धर्मगुरुओं ने भी मुख्यमंत्री की अपील का समर्थन किया है.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कह चुके हैं कि कोरोना की महामारी के चलते रमजान में भी कोई ढील नहीं दी जा सकती है. हालांकि, मनीष सिसोदिया ने कहा कि अजान के लिए कोई पाबंदी नहीं है. लॉकडाउन में मस्जिदों में नमाज़ के लिए इकट्ठा होने या किसी अन्य धार्मिक स्थल पर पूजा आदि के लिए लोगों के इकट्ठा होने पर पूरी तरह पाबंदी है. हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि रमजान का महीना शुरू हो रहा है, इस बार सामाजिक दूरी रखते हुए इसे मनाएं. घर पर ही रहकर नमाज-रोजा अदा करें. पंजाब सरकार ने स्वतंत्र आवागमन और जलसा आदि करने पर भी रोक लगाई है. राज्य सरकार ने मुस्लिम समुदाय से आग्रह किया है कि वह सभी दिशा निर्देशों की सावधानीपूर्वक पालन करें. कर्नाटक की येदियुरप्पा सरकार ने रमजान में मस्जिदों में सामूहिक नमाज के साथ-साथ दावत-ए-सहरी व इफ्तार पार्टी पर भी रोक लगा दी गई है.
इसके अलावा धीमी आवाज में अजान देने की अनुमति दी है. मस्जिद परिसर में मोहल्लों में वितरण के लिए किसी खाद्य सामग्री को तैयार नहीं किया जाएगा. इसके अलावा मस्जिद और दरगाह के आसपास कोई खाने की दुकान लगाने की भी इजाजत नहीं होगी. ऐसा न करने पर उल्लंघन करने वाले के खिलाफ वक्फ ऐक्ट 1995 के अनुसार कार्रवाई की जाएगी.