कोरोना संकट और लॉकडाउन के चलते राज्यों की आर्थिक व्यवस्था पूरी तरह से बिगड़ गई है. राज्य सरकारों की कमाई में शराब, तंबाकू उत्पादों और पेट्रोलियम पदार्थों की बिक्री पर लगने वाले करों का बड़ा योगदान होता है. इनकी खरीद-फरोख्त लॉकडाउन की वजह से पूरी तरह बंद है. इसके अलावा कारोबार और औद्योगिक इकाइयां भी पूरी तरह से बंद हैं, जिसके चलते राज्यों के खजाने खाली होते जा रहे हैं. केंद्र सरकार से राज्य सरकारें आर्थिक मदद और पैकेज की लगातार गुहार लगा रही हैं, लेकिन अभी तक कोई राष्ट्रव्यापी ठोस रणनीति सामने नहीं आ सकी है. ऐसे में राज्य सरकारों ने कोरोना के बाद आर्थिक संकट से उबरने के लिए अपनी कवायद शुरू कर दी है.
लॉकडाउन से बाहर निकलने के बाद प्रदेश की आर्थिक स्थिति को पटरी पर लाने के लिए पंजाब की कैप्टन सरकार ने अपनी ओर से कोशिशें तेज कर दी हैं. कोरोना के बाद पंजाब को आर्थिक संकट से बाहर निकालने के लिए मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलुवालिया के नेतृत्व में 20 आर्थिक विशेषज्ञों की टीम गठित की है, जो पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के गाइडेंस में काम करेगी.
कैप्टन ने कहा कि कोरोना वायरस से निपटने के साथ ही कोरोना के बाद की आर्थिक स्थिति को संभालने पर चिंतन हर जगह किया जा रहा है. बता दें कि पंजाब की तरह ही राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने भी दो टास्क फोर्स का गठन किया है. इसमें इसमें से एक टास्क फोर्स प्रशासनिक स्थिति को देखने के लिए तो दूसरी आर्थिक स्थिति पर नजर रखने के लिए बनाई गई है. इतना ही नहीं लॉकडाउन में मजदूरों की कमी को देखते हुए अशोक गहलोत ने मजदूरों के 8 घंटे के बजाय 12 घंटे श्रम करने का नियम बनाया है. गहलोत के इस फैसले की पीएम मोदी ने भी सोमवार को मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक में तारीफ की थी.